• यह जीवन [Life it is]

    इस मुक्त छंद कविता में जीवन को भावनाओं और गुणों के मिश्रण के रूप में चित्रित किया गया है। जैसे दर्द और खुशी के बीच, अनुचित क्रोध और निष्पक्ष शांति, स्वार्थी लालच और उदार करुणा, साथ ही टूटी हुई आशा की अपूर्णता बनाम मजबूत विश्वास में पाई जाने वाली पूर्णता। Continue reading

  • अपने भीतर [Within You]

    यह कविता आंतरिक संघर्ष और भीतर की शक्ति को दर्शाती है। जैसे अंधेरे में रोशनी खोजने, डर पर काबू पाने और लचीलेपन को अपनाने पर जोर देता है। यह बाहरी चुनौतियों के बावजूद अपने भीतर ताकत और आशा खोजने का संदेश देता है, अंततः दृढ़ता और दूसरे मौके की वकालत करता है। Continue reading

  • अच्छाई की तलाश [Seeking the Good]

    यह कविता विपरीत परिस्थितियों में सांत्वना और शक्ति खोजने को प्रोत्साहित करती है। यह सुझाव देता है कि जब बाहर अराजकता हो तो भीतर शांति खोजें, घर के अंदर निराशा के दौरान बाहर आशा की तलाश करें, और बाहरी रूप से अकेला महसूस होने पर अपने भीतर एक दोस्त की तलाश करें। Continue reading

  • सर्वोच्च एकत्व [Supreme Oneness]

    हमारे शरीर के भीतर और हमारे चारों ओर की संपूर्ण प्रकृति एक ही ऊर्जा के विभिन्न भाग हैं।  इसका मतलब है कि ” एकत्व” ब्रह्मांड का पहला सिद्धांत है और एक ही शक्ति हमारा पोषण करती है।  Continue reading

  • मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण [Perspective toward Mental Health]

    आज दुनिया भर में मानसिक बीमारी से पीड़ित लाखों लोगों को स्वस्थ जीवन में लौटने के लिए मदद की ज़रूरत है। Continue reading

  • कर्म में विश्वास [Faith in Karma]

    दुर्जन कितना भी चालाक और धोखेबाज हो, जीत संभव नहीं है।  क्योंकि दुनिया में वही होता है जिसकी इजाजत परमशक्ति परमात्मा देती है। आदर्श जीवन जियो, सही रास्ते पर चलो, कड़ी मेहनत करो। भगवान पर भरोसा रखो।  आपके अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जायेंगे. Continue reading

  • कालक्रम [Chronology]

    इस संसार में जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। जन्म और मृत्यु का चक्र अनवरत चलता रहता है।संसार में सर्जन और विसर्जन का चक्र चलता ही रहता है। जन्म के साथही मृत्यु निश्चित होती है। Continue reading

  • आत्म अनुशासन [Self-Discipline]

    प्रकृति का हर तत्व अनुशासित है। मनुष्य जो लौकिक तत्व का अंश है, क्या वह अनुशासित है? क्या हमारे कर्मो पर हमारे मन का नियंत्रण है? इसके लिए हमें अपने भीतर झांकना होगा। Continue reading

  • प्रकृति [Nature]

    प्रकृति का अपमान परम शक्ति का अपमान है।  उसका अनादर करके हम अपने ही विनाश का स्वागत करते हैं।  प्रकृति से प्रेम करना, उसका सम्मान करना, उसके तत्वों की रक्षा करना, परम शक्ति की पूजा करने जैसा है। Continue reading

My periodical article would be about my thoughts and perspective on certain things. It’s not about what’s right or wrong but rather what I feel about it. Sharing my thoughts and knowing yours is how we connect.
Let me know what you think in the comments and share it further if you feel it will bring change. Because that’s what matters!

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